मेरे सीने में जो दफन हुए हैं हम उन अरमानों के कातिल हैं

 मेरे सीने में जो दफन हुए हैं

हम उन अरमानों के कातिल हैं


अश्क़ों संग जो बह निकले हैं

हम उन अफसानों के कातिल हैं


जिनके द्वारे बुझ गयी हर लौ

हम उन श्मशानों के कातिल हैं


मर कर जो अमर हुए किसी लोक

हम उन दीवानों के कातिल हैं


है गुमनामी जिनके हाथ की रेखा

हम उन अनजानों के कातिल हैं





माला चौधरी