karthikeya 2 , हिंदी रिलीज .साउथ एक्टर निखिल सिद्धार्थ और अनुपमा परमेश्वरम

 Hindi release of Nikhil Siddhartha’s Karthikeya 2-

साउथ की फिल्मों ने हिंदी दर्शकों का नजरिया एकदम बदल दिया है। बाहुबली की विशाल सफलता के बाद कई साउथ सिनेमा की फिल्मों ने हिंदी मार्केट को ब्रीच करने की कोशिश की। जिसमें कुछ हद तक साउथ सिनेमा इंडस्ट्री कामयाब भी रही है। बाहुबली के बाद फिल्म निर्देशक राजामौली की ही फिल्म आरआरआर, कन्नड़ सुपरस्टार यश की फिल्म केजीएफ और अल्लू अर्जुन की पुष्पा ने हिंदी सिने दर्शकों को दीवाना कर दिया। इन फिल्मों ने भाषाई सीमा पार कर हिंदी बेल्ट में ताबड़तोड़ कमाई की और हिंदी सिनेमा इंडस्ट्री बॉलीवुड के सामने कड़ी चुनौती पेश कर दी है। इन फिल्मों की बंपर सक्सेस के बाद साउथ फिल्मों के निर्माता-निर्देशक बड़ा दांव लगाने की हिम्मत करने लगे हैं। जिसके बाद हमने कई South सिनेमा की फिल्में हिंदी थियेटर्स पर रिलीज होते हुए देखीं।

karthikeya 2 के लिए आसान नहीं हैं हिंदी रिलीज का सफर


इस कतार में खड़ी अगली फिल्म निखिल सिद्धार्थ और अनुपमा परमेश्वरम स्टारर फिल्म कार्तिकेय 2 है। जो 13 अगस्त के दिन सिल्वर स्क्रीन पहुंच रही है। इस फिल्म को भी हिंदी भाषा में विशाल स्तर पर रिलीज करने की प्लानिंग है। यही इस फिल्म के लिए चिंता की बात है। आमिर खान स्टारर लाल सिंह चड्ढा और अक्षय कुमार की फिल्म रक्षाबंधन के बीच थियेटर पहुंच रही निखिल सिद्धार्थ की फिल्म के लिए हिंदी मार्केट में टिक पाना मुश्किल है।


जी हां, कई बार दूर के ढोल सुहावने ही लगते हैं। आरआरआर, केजीएफ और बाहुबली की बंपर सक्सेस के बाद कई साउथ फिल्मों ने हिंदी बाजार में कदम रखने की कोशिश की। इनमें बाहुबली फेम सुपरस्टार प्रभास की फिल्म राधे श्याम के अलावा, थलापति विजय की बीस्ट, अजित कुमार की वलिमै, कमल हासन स्टारर विक्रम, और किच्चा सुदीप की विक्रांत रोणा जैसी बिग बजट फिल्में भी शामिल थीं। इसके अलावा मिड साइज साउथ फिल्मों ने भी हिंदी सिनेमाई बाजार में कदम रखा। हालिया रिलीज बिंबिसार, सीता रामम, रवि तेजा की खिलाड़ी समेत बीते 6 महीनों में साउथ की करीब दर्जन भर फिल्में हिंदी बाजार में कदम रख चुकी हैं। हालांकि इनमें से किसी फिल्म को सफलता हाथ नहीं लगी।










हिंदी सिनेमाई बाजार में उतरने को हलवा समझ रहे मेकर्स के लिए ये एक किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं हैं। कार्तिकेय 2 जैसी फिल्म को भी इन वजहों से हिंदी भाषा में फिल्म रिलीज का नुकसान उठाना पड़ सकता है। 1) लो मार्केटिंग सबसे बड़ी समस्या है। इस फिल्म का हिंदी सिनेमा बाजार में बिल्कुल भी बज नहीं है। 2) नए कलाकार के साथ हिंदी दर्शकों को थियेटर खींचना बड़ी चुनौती होती है। 3) इंगेजिंग कहानी की दरकार है। अगर दर्शकों को कहानी मजेदार नहीं लगी तो फिल्म के पीटने के पूरे आसार हैं। साउथ की मेगा हिट फिल्मों ने औसत कहानी के साथ थियेटर पहुंचने वाली सभी फिल्मों को सिरे से नकार दिया है। 4) हिंदी बाजार में वर्ड्स ऑफ माउथ पर काफी डिपेंड करती हैं फिल्में। अगर सबकुछ ठीक रहा और दर्शकों से सीधे तौर पर अच्छा रिस्पॉन्स मिला तो ही फिल्में थियेटर्स पर कुछ कमाल कर पाती हैं। 5) फिल्म में सिर्फ अनुपम खेर को छोड़कर कोई बड़ा चेहरा नहीं हैं जो दर्शकों को थियेटर की ओर खींच सके। उसे भी मेकर्स सही तरह से ट्रेलर और टीजर में भुना नहीं सके।